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जानिए 3 सबसे बड़ा भारतीय शेयर बाजार घोटाला कैसे हुआ?

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Please Share this Blog! दोस्तों, शेयर बाजार के बारे में आपने जरूर सुना होगा| कुछ लोग इसे जुआ समझते हैं और कुछ लोग इसे पैसे बनाने का बेहतरीन तरीका समझते है| कुछ बड़े शेयर ब्रोकर शेयर बाजार से अच्छा पैसा और शोहरत बनाए हैं| वहीं कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल करके शेयर बाजार में घोटाला…

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दोस्तों, शेयर बाजार के बारे में आपने जरूर सुना होगा| कुछ लोग इसे जुआ समझते हैं और कुछ लोग इसे पैसे बनाने का बेहतरीन तरीका समझते है| कुछ बड़े शेयर ब्रोकर शेयर बाजार से अच्छा पैसा और शोहरत बनाए हैं| वहीं कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल करके शेयर बाजार में घोटाला करते रहें हैं|

इस ब्लॉग में मैं आपको भारतीय शेयर बाजार के 3 सबसे बड़े घोटालों के बारे में बताने वाला हूं| यदि आप इस ब्लॉग को आखिर तक पढ़ेंगे तो आपको जानने को मिलेगा कि कौन से 3 सबसे बड़े भारतीय शेयर बाजार के घोटाले थे? किन लोगों ने यह घोटाले किए और किस तरीके से यह घोटाले को अंजाम दिया गया?

भारतीय शेयर बाजार के 3 सबसे बड़े घोटाले के नाम कुछ इस प्रकार है-

  1. 1992 भारतीय स्टॉक मार्केट घोटाला
  2. केतन पारेख घोटाला
  3. सत्यम घोटाला

1. 1992 भारतीय स्टॉक मार्केट घोटाला

harshad mehta ghotala 1992

घोटाले का संक्षिप्त विवरण

शेयर बाजार घोटाले का नाम1992 भारतीय स्टॉक मार्केट घोटाला
घोटाला उजागर होने का साल1992
घोटाले की राशिलगभग ₹5,000 करोड़ (Approx. ₹5,000 Crore)
घोटाला किसने कियाहर्षद शांतिलाल मेहता

हर्षद मेहता कौन थे?

29 जुलाई, 1954 को पनेली मोती, राजकोट जिला, गुजरात में एक गुजराती जैन परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ था। इस लड़के का नाम हर्षद शांतिलल मेहता उर्फ “हर्षद मेहता” था| हर्षद मेहता बचपन से कांदिवली, बम्बई (मुंबई) में रहते थे, बाद में इनका परिवार रायपुर, छत्तीसगढ़ में रहने लगे| इन्होंने अपनी प्राइमेरी स्कूल की पढ़ाई जनता पब्लिक स्कूल, कैंप 2 भिलाई और सेकन्डेरी स्कूल की पढ़ाई हॉली क्रॉस सीनियर सेकन्डेरी स्कूल, रायपुर, छत्तीसगढ़ से पूरा किया|

स्कूल की पढ़ाई पूरी करके हर्षद मेहता, लाला लाजपत राय कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, से B.Com. की पढ़ाई करने के लिए बम्बई आ गए| 1976 में B. Com. की पढ़ाई पूरी करके नौकरी करना शुरू किया| अगले 8 सालों तक हर्षद मेहता ने छोटे कॉम्पनीयों में नौकरी की इससे उनका ज्ञान बड़ता रहा|

अब उनकी नौकरी न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में लग गई थी| इस कंपनी में सेल्स पर्सन की नौकरी करने से हर्षद मेहता की जिंदगी में असली बदलाव आया| सेल्स पर्सन की नौकरी करते हुए हर्षद मेहता की मुलाकात प्रसन्न परिजीवनदास से हुई| प्रसन्न परिजीवनदास से हर्षद मेहता ने हर वो चीज सीखी जो शेयर बाजार के लिए जरूरी थी| प्रसन्न परिजीवनदास से सारे तरीकों और हुनर सीखने के बाद हर्षद मेहता ने न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की सेल्स पर्सन की नौकरी छोड़ दी|

अब वो शेयर बाजार में पैसा लगाने लगे थे| प्रसन्न परिजीवनदास से सीखे हुए हुनर से हर्षद मेहता बहुत तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे| इसके बाद हर्षद मेहता ने कभी पीछे मुड़के नहीं देखा|

हर्षद मेहता ने 1984 में, ग्रो मोर रिसर्च एंड असेट मैनेजमेंट के नाम से खुद की कंपनी शुरू कर ली और बीएसई (BSE) से ब्रोकर की मेम्बर्शिप ले ली| अब हर्षद मेहता ने अपने clients के पैसे शेयर बाजार में लगा के बुल रन शुरू कर दिया था| इस वजह से हर्षद मेहता को शेयर बाजार का “बिग बुल” भी कहा जाने लगा था| अब हर्षद मेहता एक बहुत बड़ी हस्ती बन गए थे| हर्षद मेहता जिस कंपनी में अपना पैसा लगते थे वो कंपनी में तेजी से बढ़त देखने को मिलता था|

हर्षद मेहता घोटाले की पूरी जानकारी

यह साल 1992 की बात है, जब हर्षद मेहता नाम के एक व्यक्ति शेयर बाजार के बहुत बड़े स्टॉप ब्रोकर बन चुके थे| लोग इन्हे शेयर बाजार में “बिग बुल” के नाम से जानने लगे थे| कई बैंकों के साथ रेडी फॉरवर्ड डील हर्षद मेहता की ब्रोकिंग फर्म- ग्रो मोर रिसर्च एंड असेट मैनेजमेंट के द्वारा ही किया जाता था|

दोस्तों आइए समझते हैं कि रेडी फॉरवर्ड डील कैसे काम करता है| मान लीजिए बैंक-A को पैसे की जरूरत है और बैंक-B के पास पर्याप्त पैसे हैं देने के लिए, तो बैंक-A को बी आर रिसिप्ट बैंक-B को देना होता है और उसके बदले में बैंक-B बैंक-A को पैसे दे देता है| इस डील को रेडी फॉरवर्ड डील कहते हैं और यह डील एक ब्रोकर के माध्यम से पूरा किया जाता है|

हर्षद मेहता इस डील को अपने ब्रोकिंग कंपनी ग्रो मोर एंड असेट मैनेजमेंट के द्वारा पूरा करता था| इस डील के दौरान वह दोनों बैंकों से कुछ दिनों की मोहलत ले लेता था और उस पैसों को अपने पर्सनल अकाउंट में लेकर शेयर बाजार में लगा देता था| शेयर बाजार में पैसा लगाकर उससे मुनाफा कमाता था और बैंकों को उसके पैसे वापस कर देता था| लेकिन इतने से भी हंसल मेहता का मन कहां भरने वाला था|

तो अब इस गेम को और भी बड़ा करने के लिए हर्षद मेहता कई बैंकों के साथ यह रेडी फॉरवर्ड डील करना शुरू कर दिया| तो दोस्तों, आइए समझते हैं कि इस गेम को और बड़ा कैसे किया गया|

मान लीजिए, बैंक-A, बैंक-B, बैंक-C, और बैंक-D नाम के चार बैंक हैं| इस गेम में हर्षद मेहता बैंक-A से बी आर ले लेता था और बैंक-B से पैसे ले लेता था और यह पैसा शेयर बाजार में लगा देता था|इसी तरीके से बैंक-C को पैसे की जरूरत है तो बैंक-C से बी आर लेता था और बैंक-D से पैसे लेता था| अब मान लीजिए बैंक-A को अपना पैसा वापस चाहिए तो बैंक-D से लिया हुआ पैसा बैंक-A को वापस कर देता था, और बैंक-C का बी आर बैंक-B को वापस कर देता था|

इस तरीके से बहुत काम समय में हर्षद मेहता की कंपनी तरक्की करती जा रही थी| इस काम में हर्षद मेहता इतना माहिर हो गया था कि वह कुछ बैंकों की मदद से नकली बी आर भी बनाने लगा था| नकली बी आर की मदद से वह और भी पैसे बनाने लगा था| उन पैसों को शेयर बाजार में लगाकर अपना मुनाफा दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता था|

तो दोस्तों यह थी पूरी जानकारी इस घोटाले के बारे में अब आइए जानते हैं कि इसका खुलासा कैसे हुआ?

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

अचानक से जब कोई इंसान इतना बड़ा होने लगता है तो लोगों की नजर जरूरी पड़ती है उस पर| दूसरे ब्रोकरों की नजर में हर्षद मेहता की तरक्की खलने लगी थी| यह बात हर्षद मेहता की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बन गया| एसबीआई के स्टाफ को इसकी जानकारी मिल गई थी कि एसबीआई बैंक में करीब 5000 करोड़ रुपए का नकली बीआर जमा कराया गया है|

एसबीआई के स्टाफ ने द टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार सुचिता दलाल को जाकर इसकी खबर दी| सुचिता दलाल की नजर हर्षद माता की लाइफ स्टाइल पर पड़ गई थी उनके महंगे महंगे गाड़ियों जिनमें Toyota Corolla, Lexus Starlet, और Toyota Sera जैसी गाड़ियां शामिल थी| ऐसी गाड़ियां भारत में बहुत ही कम हुआ करती थी|

इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए सुचिता दलाल अब इसकी जांच में लग गई थी| जांच पड़ताल के बाद उसे भी भरोसा हो गया कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है| 23 अप्रैल 1992, द टाइम्स ऑफ इंडिया के अखबार पर यह खबर आई कि हर्षद मेहता गलत तरीके से बैंकिंग सिस्टम को अपने फाइनेंस के लिए इस्तेमाल कर रहे थे|

जैसे ही इस घोटाले का खुलासा हुआ स्टॉक मार्केट में 2 महीने के अंदर ही भारी गिरावट देखने को मिली जिसके वजह से बहुत सारे निवेशक बुरी तरह से घाटे में आ गए थे| एक घोटाले की जांच के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अब एक कमेटी बनाई जिसका नाम था जानकी रमन कमेटी| जानकी रमन कमेटी के अनुसार यह घोटाला करीबन 4025 करोड़ का था|

शेयर बाजार में इतने बड़े गिरावट का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ यह घोटाला नहीं था जिम्मेदार भारत की सरकार भी थी| पिछले 1 सालों में जितने भी शेयर होल्डर, जो हर्षद मेहता की कंपनी से शेयर खरीदे थे, भारत सरकार ने उस समय उन शेयर होल्डर के शेयर बेचने पर रोक लगा दी| इस वजह से कई शहर की कीमत कौड़ियों की बाहों में आ गए और शेयर मार्केट बर्बाद हो चुका था|

2. केतन पारेख घोटाला

ketan mehta ghotala 2001

घोटाले का संक्षिप्त विवरण

शेयर बाजार घोटाले का नामकेतन पारेख घोटाला
घोटाला उजागर होने का साल 2001
घोटाले की राशिलगभग ₹800 करोड़ (Approx. ₹800 Crore)
घोटाला किसने कियाकेतन पारेख

केतन पारेख कौन है?

केतन पारेख का जन्म 1963 में हुआ| उनके परिवार के अधिकतर लोग पिए या फिर स्टॉक ब्रोकर थे| केतन पारेख के पिता विनयचंद्र पारेख, ने उन्हें स्टॉक मार्केट की दुनिया से रूबरू कराया| चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के बाद, केतन पारेख ने अपने कैरियर की शुरुआत एक जाने-माने इंस्टीट्यूशनल ब्रोकरेज फर्म- नरभेराम हरकचंद सिक्योरिटीज (एन एच सिक्योरिटीज) से की|

’90s, की शुरुआत में केतन पारेख की दोस्ती हर्षद मेहता से हुई, फिर उन्होंने हर्षद मेहता की ब्रोकरेज फॉर्म ग्रो मोर में नौकरी करना शुरू किया|

केतन पारेख घोटाले की पूरी जानकारी

हर्षद मेहता घोटाले के ठीक 9 साल बाद केतन पारेख घोटाला आया| हर्षद मेहता के घोटाले में इनकी भागीदारी थी लेकिन ये पकड़े नहीं गए क्योंकि केतन पारेख हर्षद मेहता के ब्रोकरेज फॉर्म में एक स्टाफ के तौर पर काम करते थे| उनसे इस घोटाले की पूछताछ की गई लेकिन उनका कोई डायरेक्ट इंवॉल्वमेंट नहीं था इसलिए इन पर कोई मुकदमा नहीं हुआ| साल 1992 में केतन पारेख को Canfina Mutual Fund के घोटाले में पकड़े गए और उन्हें 1 साल की सजा सुनाई गई| यह उनकी पहले की जानकारी|

केतन पारेख एक स्कीम से घोटाला करते थे|

1. Pump And Dump Scheme:

इस स्कीम की मदद से किसी भी कंपनी के शेयर की कीमत अपने तरीके से ऊपर ले जाते थे, और जब उस शेयर की कीमत अच्छे खासे बढ़त में आ जाती थी, तो उससे सारा पैसा निकाल लेते थे| इससे मार्केट बहुत बुरी तरह से गिर जाता था और कंपनी के शेयर की कीमत इतनी गिर जाती थी कि पहले जितनी पर थी उससे भी कम हो जाती थी| तो दोस्तों, ऐसे काम करता था पंप एंड डंप स्कीम|

इस स्कीम के लिए पहले बाजार को ऊपर ले जाना जरूरी था| बाजार को ऊपर ले जाने के लिए स्टॉक का चयन करना, स्टॉक एक्सचेंज का चयन करना और बहुत सारे पैसों की जरूरत थी|

हर्षद मेहता के घोटाले के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर RBI और SEBI के द्वारा बहुत कड़ी निगरानी रखि जाने लगी| कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) में अभी इतनी शखती और पाबंदी नहीं थी इसलिए केतन पारेख ने कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) को चुना| स्टॉक का चयन करने के लिए उन्होंने स्टॉक्स में 4 खासियत देखना शुरू किया- छोटी कंपनी, कम वॉल्यूम, कंपनी की भविष्य की स्तिथि, मार्केट कैपिटल कम हो|

केतन पारेख ने पहले से बड़े स्टॉक्स में इस स्कीम से घोटाले करने की कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हुए थे, इसलिए अब वो छोटी कंपनियों को टारगेट कर रहे थे| दूसरी बात थी उन्हे कम वॉल्यूम में ट्रैड होने वाली स्टॉक्स को चुनना था ताकि उन स्टॉक्स की कीमत को अपने तरीके से ऊपर ले जाते|

तीसरी बात उन्होंने यह भी ध्यान में रखा की वो उन कंपनियों में अपना पैसा न लगाए जो एक दम ही रद्दी हो, ताकि कंपनी आगे भविष्य में उनको कुछ न कुछ फायदा दे सके| चौथी बात थी की उन स्टॉक्स की मार्केट कैपिटल कम हो ताकि आसानी से उनके ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीद सके|

साल 1997, में DOT COM BOOM आया| इस वजह से Information, Communication, and Entertainment Sector (ICE Sector) मतलब पूरा का पूरा इंटरनेट सेक्टर से जुड़े स्टॉक्स में लोगों को समझ में आने लगा था की इस सेक्टर के स्टॉक्स का भविष्य में अच्छा बढ़त देखने को मिलेगा| इस बात का फायदा उठाते हुए केतन पारेख ने इसी सेक्टर के स्टॉक्स तो चुना| अगर इन स्टॉक्स की कीमत बढ़ती तो लोगों को लगता की ये स्टॉक्स अच्छे है इस लिए ये बढ़ रहे है|

इस तरीके से उन्होंने 10 स्टॉक्स की चयन की जिन्हे K-10 स्टॉक्स के नाम से भी जाना जाता है| इन स्टॉक्स के नाम थे-

  1. HFCL
  2. Mukta Arts
  3. Tips
  4. Pritish Nandy Communications
  5. Zee
  6. Pentagon Graphics
  7. GTL
  8. Amitabh Bachchan Corp.
  9. Aftek Infosys
  10. Crest Communications

इन स्टॉक्स के रिटर्न्स बहुत ज्यादा होते थे| एक-एक साल में 200%-400% तक का रिटर्न देते थे ये स्टॉक्स| अब केतन पारेख को शेयर की कीमत बढ़ाने के लिए चाहिए थी बहुत सारे पैसे| केतन पारेख ने अपने खुद का पैसा लगाया, फिर promoters से पैसे लिए, इन्स्टिच्यूशनल निवेशक से पैसे लिए, और बैंक से भी बहुत सारे पैसे लिए|

इन्स्टिच्यूशनल निवेशक बड़ी कंपनियाँ होती है जिनके पास अपने ग्राहकों के बहुत सारे पैसे होते है जैसे Hedge Funds, Mutual Funds, P/E Funds, Endowment Funds और Insurance Companies. कई इन्स्टिच्यूशनल निवेशक केतन पारेख के दोस्त हुआ करते थे, इसलिए इन्हे आसानी से इनसे पैसे मिल जाते थे|बाकी इन्स्टिच्यूशनल निवेशको को Circular Trading के मदत से पैसे लगाने को कहता था|

Circular Trading में कुछ बड़े निवेशक आपस में ही एक दूसरे के साथ शेयर खरीदते-बेचते रहते है, ताकि लोगों को लगे की इस स्टॉक की मांग बहुत ज्यादा है| इस ट्रैडिंग के बदले केतन पारेख इन्स्टिच्यूशनल निवेशको को कुछ कमीशन देता था|

केतन पारेख के पास एक और तरीका था Funds इकट्ठा करने के लिए, वह थी बैंक| बैंक से केतन पारेख 2 तरीके से पैसे लेता था- लोन और पे ऑर्डर| सरकारी नियमों के अनुसार बैंक किसी भी स्टॉक ब्रोकर को उस समय 15 करोड़ से ज्यादा की रकम लोन की लोन के नाम पर नहीं दे सकते थे, लेकिन केतन पारेख बैंकों से उससे भी ज्यादा पैसे ले लेता था| केतन पारेख दो बैंकों से लोन लेता था- ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक|

जब घोटाला सामने आया तब केतन पारेख ग्लोबल ट्रस्ट बैंक से 250 करोड़ और माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक से 900 करोड़ उधार में थे| बाद मे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक को ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने खरीद लिया| माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक पूरी तरह डूब गया था क्योंकि इस बैंक की नेट वर्थ नेगटिव हो चुकी थी| 2012 में RBI ने इस बैंक की लाइसेन्स जब्त कर ली|

केतन पारेख ने माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक को 400 करोड़ लौटा दिए थे लेकिन बाकी बचे 500 करोड़ नहीं लौट सका| केतन पारेख बैंक से अपने शेयर गिरवी रख के लोन लेता था| बाद में केतन पारेख ने इन बैंक के शेयर भी खरीद लिए, और उन शेयर के बदोलट unsecured loans लेने लगे| इस तरीके से केतन पारेख हर्षद मेहता ही तरह अपने निवेशकों से पैसे लेने लगा और उन्हे कुछ समय की मोहलत के बाद पैसा वापस कर देता था|

अब आया DOTCOM BUBBLE BRUST, इससे स्टॉक मार्केट में जीतने भी ICE Sector के स्टॉक्स थे, उन्मे भारी गिरावट दिखनी शुरू हुई| बात यह थी की इस सेक्टर के सारे स्टॉक्स बहुत ऊपर के लेवल तक पहुच गए थे| अब इन स्टॉक्स में गिरावट आना था| ऐसे में शेयर के कीमत को बढ़ाने के लिए केतन पारेख को बहुत पैसों की जरूरत पड़ने वाली थी|

पैसे के लिए केतन पारेख ने बैंक से और लोन लेने की बात की लेकिन उन्होंने मना कर दिया| मार्केट मे ऐसी गिरावट की वजह से बैंक, ब्रोकर्स और निवेशक सभी नुकसान में थे| कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज के पास ट्रैड सेटल्मन्ट के पैसे नहीं थे|

अब बैंक ऑफ इंडिया ने एक केस फाइल किया केतन पारेख के नाम पर क्योंकि केतन पारेख ने बैंक ऑफ इंडिया से 137 करोड़ रुपये लिए थे Pay-Order देकर| यह 137 करोड़ का Pay-Order माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक के द्वारा जारी किया गया था| जब बैंक ऑफ इंडिया को उसके पैसे नहीं मिले तो उस बैंक ने केस कर दिया| केतन पारेख को हिरासत में ले लिया गया|

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

जब आरबीआई और सेबी को समझ आया कि केतन पारेख के द्वारा किए गए मुनाफे और उनके द्वारा प्राप्त किए गए लोन के बारे में कुछ असामान्य था। उन्हें मार्च 2000 में गिरफ्तार किया गया था और 53 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। 1 मार्च 2000 को शेयर बाजार 176 अंक से अधिक गिर गया जिससे निवेशकों को 2000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। उन्हें 2017 तक 15 साल के लिए शेयर बाजार में व्यापार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था और उन्हें एक साल की जेल की सजा भी सुनाई गई थी। यह भारतीय शेयर बाजारों के इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा शेयर बाजार धोखाधड़ी बन गया।

इस वजह से, सेबी ने विभिन्न नियम और कानून लाए। इसने बदला प्रणाली और सर्कुलर ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया। इसने स्टॉक एक्सचेंज से संबंधित सभी खातों का सालाना एक बार निरीक्षण किया। उन्होंने केवल बीएसई और एनएसई के माध्यम से Collateralised loan की अनुमति दी।

हालांकि उन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया था, यह अफवाह थी कि केतन पारेख कठपुतली के माध्यम से संचालित होते थे जिन्होंने स्टॉक एक्सचेंज में उनके आदेशों को पूरा किया था। 2008 में सेबी ने कई कंपनियों से पूछताछ की और उनकी मदद करने पर रोक लगा दी गई। हालाँकि, क्या वह अभी भी स्टॉक एक्सचेंज में काम करता है या नहीं अभी भी अफवाह बनी हुई है जिसका पर्दाफाश होना बाकी है।

3. सत्यम घोटाला

satyam ghotala 2009

घोटाले का संक्षिप्त विवरण

शेयर बाजार घोटाले का नामसत्यम घोटाला
घोटाला उजागर होने का साल 2009
घोटाले की राशिलगभग ₹7,800 करोड़ (Approx. ₹7,800 Crore)
घोटाला किसने कियारामालिंगा राजू

रामालिंगा राजू कौन है?

रामालिंगा राजू का जन्म 16 सितंबर 1954 में हुआ था| राजू ने शुरूआत में कई बिजनेस में अपना हाथ आजमाया। इसमें धनुंजया होटल्स, श्री सत्यम स्पिनिंग नाम से कॉटन स्पिनिंग मिल शामिल थी। यह मिल राजू ने 8 करोड़ की लागत से शुरू की थी, लेकिन इसके फेल होने के बाद राजू ने रियल एस्टेट में कदम रखा और मायतास इंफ्रा लिमिटेड नाम से कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू की। रामालिंगा राजू सत्यम कंप्यूटर्स के संस्थापक और पूर्व चेयरमैन रह चुके है|

सत्यम घोटाले की पूरी जानकारी

सत्यम कॉमपुटर्स कंपनी 1991 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में listing हुई थी। उस समय सत्यम लिमिटेड के शेयरों को 17 गुना अधिक subscription मिला था। कंपनी अपने क्षेत्र में एक मास्टर साबित हुई और कई पुरस्कार जीते।

रामालिंगा राजू 2006 में अध्यक्ष बने और 2007 में अर्नेस्ट एंड यंगेस्ट एंटरप्रेन्योर का पुरस्कार मिला। जल्द ही उनका वार्षिक राजस्व 1 बिलियन तक पहुंच गया और 2008 के अंत तक यह 2 बिलियन को पार कर गया। कंपनी ने 20+ देशों में अपने पंख फैलाए और कारोबार दिन-ब-दिन फलता-फूलता रहा। या, ऐसा माना जाता था।

सत्यम कॉमपुटर्स बहुत अच्छे से तरक्की कर रहा था| रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़ रहे मार्केट को देखते हुए रामालिंगा राजू की नजर पड़ी, क्योंकि रियल एस्टेट की रेट काफी तेजी से बढ़ती जा रही थी| अब राजू ने कई सहरों में अपने प्रॉपर्टी खरीदना शुरू कर दिया था| मायतास इंफ्रा लिमिटेड, मायतास प्रॉपर्टीस और अपने कई रिस्तेदारों के नाम पर राजू प्रॉपर्टीस खरीदने लगा था|

प्रॉपर्टी खरीदने के लत को पूरा करने के लिए राजू को चाहिए थे और पैसे| अब राजू सत्यम कॉमपुटर्स के फाइनैन्शल स्टैट्मन्ट में हेरा-फेरी करना शुरू किया| उद्धरण के लिए- सत्यम कॉमपुटर्स को यदि 50 करोड़ का फायदा होता था तो राजू इसे 500 करोड़ का फायदा दिखाता था| आसान भासा में समझे तो राजू अपने कंपनी की जानकारी गलत तरीके से दिखा रहा था और मार्केट को गलत तरीके से एस्तेमाल कर रहा था|

इस तरीके से सत्यम कॉमपुटर्स के शेयर की कीमत जोरों-शोरों से बढ़ने लगी| अब बढ़ते शेयर की कीमतों को देख के राजू और उसके भाई ने अपने शेयर को बेचने लगे और बाकी बचे हुए शेयर को गिरवी रख कर बैंक से लोन लेने लगे| अब सारे पैसों से और भी प्रॉपर्टी खरीदने लगे| झूठे बैंक स्टैट्मन्ट, झूठे सेल्स इन्वाइस को दिखा कर राजू नए निवेशकों से पैसा निवेश करवाता रहा| इस तरीके से राजू पैसा कमाता था और प्रॉपर्टीस खरीदता गया|

इस तरीके से सत्यम कॉमपुटर्स की सच और राजू के दिखाए गए झूठ का दूरी बढ़त गया| 2008 के मंदी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर में बहुत नुकसान होने लगा तो राजू ने अपने प्रॉपर्टीस बेच के सत्यम कॉमपुटर्स के झूठे फिगर्स को छुपाने का मास्टर प्लान बनाया| ऐसे कई तरीकों से मास्टर प्लान बनाने की कोशिश करते रहे लेकिन यह झूठे फिगर्स को छुपाने में नाकामयाब रहे|

आखिर में 2009 में, सत्यम कॉमपुटर्स के मालिक रमालिंगा राजू ने स्वीकारा की सत्यम कॉमपुटर्स के फाइनैन्शल रिपोर्ट में कई तरह से कंपनी के द्वारा धोखाधड़ी की जाती थी|

घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?

तनाव तब शुरू हुआ जब भाइयों ने मायतास नामक कंपनी के साथ मर्ज करने का फैसला किया। मत्यस का संचालन और प्रबंधन राजू के परिवार द्वारा किया जाता था। दोनों कंपनियों के मर्ज ने कई कानूनी मुद्दों को जन्म दिया, जिससे राजू के भाइयों को परेशानी हुई। अचानक राजू ने अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया और 5 पन्नों का एक confession letter जारी किया। इसमें उसने 7,800 करोड़ की धोखाधड़ी करना स्वीकार किया।

स्पेशल कोर्ट ऑफ CBI ने राजू और उसके भाई के साथ और सात लोगों को सात साल की जेल भेजे जाने की सजा सुनाई| इसके साथ रामालिंगा राजू पर 5 करोड़ तक का जुर्माना लगाया गया| रामालिंगा राजू के भाई पर भी जुर्माना लगाया गया साथ ही उन 7 लोगों के ऊपर 20 से 25 लाख का जुर्माना लगाया गया|

इसके बाद भारत सरकार और सेबी दोनों ही बहुत सचेत हो गए और एक नया कानून लाया गया कि किसी भी कंपनी में ऑडिटर 10 साल से अधिक नौकरी नहीं कर सकते यानी कि हर 10 साल पर उन्हें अपना ऑडिटर बदलना होगा|

निष्कर्ष

दोस्तों यह थे 3 सबसे बड़े भारतीय शेयर बाजार के घोटाले| अलग-अलग तरीकों से हर्षद मेहता, केतन पारेख और रामालिंगा राजू ने शेयर बाजार के घोटाले को अंजाम दिया| आखिरकार तीनो लोग भारत सरकार के द्वारा पकड़े गए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी गई, साथ ही इसके उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ा|

इस ब्लॉग को पढ़कर आपको शायद समझ में आ गया होगा कि गलत तरीके से कमाया हुआ पैसा कभी आपका नहीं होता है| दोस्तों अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो या आपके किसी काम आई हो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स पर जरूर कमेंट करें और अपने दोस्तों के साथ भी इस ब्लॉग को जरुर शेयर करें|

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